झारखंड ट्राइबल एंटरप्रेन्योरशिप समिट 2025
10 जनवरी 2025 को रांची के ऑड्रे हाउस में आयोजित झारखंड ट्राइबल एंटरप्रेन्योरशिप समिट एक ऐतिहासिक पहल थी, जिसका उद्देश्य आदिवासी उद्यमिता को बढ़ावा देना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना था। इस समिट का आयोजन Confederation of Indian Industry (CII) और Tribal Indian Chamber of Commerce and Industry (TICCI) के सहयोग से किया गया।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समाज की समृद्ध परंपराओं और उनके उद्यमशीलता कौशल को आधुनिक व्यावसायिक अवसरों के साथ जोड़कर एक मजबूत आर्थिक संरचना का निर्माण करना था।
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां
1. इनोवेशन और परंपरा का संगम
समिट ने इस बात पर जोर दिया कि आदिवासी समुदायों की कला, शिल्प और टिकाऊ प्रथाओं को आधुनिक व्यवसायिक कौशल से जोड़ा जाए। यह समिट आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ उनकी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम था।
2. प्रमुख सत्र और विषय:
Building Bridges: इस सत्र में आदिवासी उद्यमियों के लिए सरकारी और औद्योगिक अवसरों पर चर्चा की गई।
प्रमुख बिंदु:
सरकारी नीतियों के तहत 4% आरक्षण।
औद्योगिक क्षेत्र में भागीदारी के अवसर।
सरकारी योजनाओं और फंडिंग तक पहुंच।
Challenging Challenges:
आदिवासी उद्यमियों की चुनौतियों और उनकी सफलता की कहानियों को साझा किया गया। इन कहानियों ने प्रेरणा दी कि कैसे परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक के साथ सफलता पाई जा सकती है।
Transformative Value Addition:
इस सत्र में परंपरागत ज्ञान और आधुनिक व्यावसायिक प्रथाओं को जोड़ने पर चर्चा की गई। यह बताया गया कि कैसे तकनीकी उन्नति और वैश्विक बाजार आदिवासी समुदायों के लिए नए अवसर ला सकते हैं।
प्रमुख वक्ता और उनके विचार
1. बंसत तिर्की (नेशनल जनरल सेक्रेटरी, TICCI):
उन्होंने आदिवासी उद्यमियों के लिए सरकारी नीतियों में 4% आरक्षण बढ़ाने की मांग की। झारखंड की आदिवासी जनसंख्या को देखते हुए, उन्होंने 40% आरक्षण की वकालत की। आदिवासी उद्यमिता बोर्ड की स्थापना का सुझाव दिया, जिससे 18-40 वर्ष के आदिवासी युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिल सकें।
2. सौरव रॉय (चेयरमैन, CII ईस्टर्न रीजन):
उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी अपनी परंपरागत उद्यमशीलता में सदैव अग्रणी रहे हैं। जमशेदपुर और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में अवसर बढ़े हैं, और इस राँची में होटल एवं रेस्टोरेंट जैसे क्षेत्रों में भी अपार संभावनाएं हैं।
3. जितेंद्र कुमार सिंह, IAS (सेक्रेटरी, इंडस्ट्री डिपार्टमेंट, झारखंड): उन्होंने कहा कि झारखंड में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए अलग नीति की आवश्यकता है। वर्तमान नीति में आदिवासियों के लिए 4% अवसर हैं, लेकिन इसे बढ़ाकर 20% तक लाने के लिए प्रयास जारी हैं।
4. प्रोफेसर गौरव मराठे (आईआईएम, रांची), डॉ. टाटा एल रघु राम (XLRI), और अन्य विशेषज्ञों ने आधुनिक व्यवसायिक रणनीतियों पर विचार साझा किए।
महत्वपूर्ण सुझाव और निष्कर्ष
1. सस्टेनेबल डेवलपमेंट:
स्थिर विकास के लिए योजनाओं को धरातल पर लागू करने की आवश्यकता है। आदिवासी समुदायों को मुख्यमंत्री कुटीर उद्योग बोर्ड और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने पर जोर दिया गया।
2. नीति निर्माण:
आदिवासी उद्यमियों के लिए अलग नीति बनाने का प्रस्ताव। झारखंड में MSME पॉलिसी को आदिवासी उद्यमियों के अनुकूल बनाने की दिशा में कार्य।
3. वैश्विक अवसरों में भागीदारी:
आदिवासी उद्यमियों को वर्ल्ड फूड इंडिया और इंडिया ट्रेड फेयर जैसे आयोजनों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
4. शिक्षा और प्रशिक्षण:
युवाओं को तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू करने का सुझाव।
झारखंड ट्राइबल एंटरप्रेन्योरशिप समिट 2025 ने आदिवासी उद्यमियों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। यह न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम है, बल्कि आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक और सामाजिक समृद्धि का प्रतीक भी है।
"आदिवासी समाज के लिए यह पहल सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन है।"
आइए, मिलकर इस यात्रा का हिस्सा बनें और आदिवासी समाज के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण करें।
जोहार!
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